मप्र / प्राॅपर्टी टैक्स और पानी के बिल में गड़बड़ी, जमा है लाइफ टाइम टैक्स फिर भी आ रहे पानी के बिल

80 वर्षीय रिटायर्ड मेजर सिकंदरलाल कालरा ने लाइफ टाइम वाटर टैक्स स्कीम के तहत नगर निगम में 6 हजार रुपए जमा किए थे, लेकिन जनवरी 2018 से निगम ने उन्हें फिर से पानी का बिल देना शुरू कर दिया। उन्हें करीब पांच हजार रुपए जमा करने का नोटिस जारी किया गया है। मेजर कालरा ने तीन महीने पहले शिकायत की, लेकिन अब तक इसका निराकरण नहीं हुआ है।  इसी तरह सरस्वती नगर में एक एचआईजी प्लॉट पर अब अपार्टमेंट बन गया है, और नगर निगम के संपत्ति कर खाते में यहां अपार्टमेंट और प्लॉट दोनों दर्ज हैं। इस प्लॉट की अॉनर रहीं आशा सिंघई को निगम ने करीब दो लाख रुपए का संपत्तिकर जमा करने का नोटिस थमाया है। इस गड़बड़ी को दुरुस्त करने के लिए वे निगम के दफ्तरों के चक्कर काट रहीं हैं। 



यह दो मामले तो सिर्फ बानगी हैं, लेकिन काेलार, शाहपुरा,  अरेरा कॉलोनी, मिसरोद और आसपास का क्षेत्र,  बिट्टन मार्केट,  न्यू मार्केट और  रायसेन रोड क्षेत्र से ऐसे ही कई मामले सामने आ रहे हैं। वार्ड कार्यालय से लेकर जोन कार्यालय और मुख्यालय तक कोई भी उनकी सुनवाई नहीं करता। इधर, कमिश्नर बी विजय दत्ता ने सोमवार को राजस्व की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि निगम में स्वच्छता अभियान की तर्ज पर टैक्स वसूली के लिए वार्ड स्तर पर नोडल अधिकारी बनाए जाएंगे।


लाइफ टाइम वाटर टैक्स स्कीम  की फाइल गुम



  • 3 लाख से ज्यादा प्रॉपर्टी टैक्स के खाते निगम में 

  • 2.25 लाख नल कनेक्शन  


नगर निगम प्रशासन ने 1998 में एक स्कीम जारी की थी। इसके तहत 6000 रुपए एकमुश्त पानी का बिल जमा करने पर लाइफ टाइम टैक्स की छूट का प्रावधान था। अब स्थिति यह है कि इस स्कीम की फाइल ही नहीं मिल रही है, जिससे यह तय हो सके कि स्कीम कब लागू हुई? 


ऐसे मामले भी आ रहे हैं सामने 



  •  पुराने मकान मालिकों के नाम से बिल जारी हो रहे हैं

  •  एक बिल्डिंग में एक से अधिक मालिक, लेकिन बिल किसी एक के नाम से आ रहा है।

  •  किसी को कम तो किसी को ज्यादा टैक्स का बिल ।

  •  जिन मकानों का सर्वे नहीं हो सका जीआईएस टीम ने उसे ‘अनअसेस्ड प्रापर्टी’ बता दिया।


संपत्तिकर जमा करें तो जांच लें



  •  सेल्फ असेसमेंट फॉर्म व रजिस्ट्री में दर्ज एरिया चेक कर लें।

  •  जीआईएस रिपोर्ट के आधार पर बदलाव किया गया हो तो उसे चेक करें

  •  पुरानी रसीद संभाल कर रखें और उसे दिखाएं।

  •  निगम की वेबसाइट पर हर एरिए कि संपत्तिकर की दर दी हुई है। उसके अनुसार गणना करें।


संशोधन की हर फाइल जाती है मुख्यालय


जानकारों के अनुसार बिलों में संशोधन की हर फाइल वार्ड से जोन कार्यालय होते हुए मुख्यालय तक जाती है। यहां उपायुक्त व अपर आयुक्त स्तर के अधिकारी अन्य कार्यों में व्यस्त रहते हैं। नतीजा- संशोधनों पर महीनों निराकरण नहीं हो पाता। कुछ महीनों से अफसरों का पूरा ध्यान स्वच्छता सर्वे पर है और अपर आयुक्त रणबीर कुमार के तबादले के बाद निगम का राजस्व जैसा विभाग ऐसी ही व्यवस्था में चल रहा है।


जिन लोगों के गलत बिल जारी हुए... उनके निराकरण के लिए नई व्यवस्था


पिछले दिनों यह बात सामने आई थी कि कई लोगों को संपत्तिकर और पानी के गलत बिल जारी हुए हैं। इनके निराकरण की नई व्यवस्था बना रहे हैं। जोनल अधिकारियों को अधिकार देने का भी प्रस्ताव है। ऐसे में मामलों का निराकरण जल्दी होगा।